Details, Fiction and sidh kunjika
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नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि ।
देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
धां धीं धूं धूर्जटेः पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी ।
ऐङ्कारी सृष्टिरूपायै ह्रीङ्कारी प्रतिपालिका ।
रात के समय ये पाठ ज्यादा फलदायी माना गया है.
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति दशमोऽध्यायः
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येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजापः शुभो भवेत् ॥ १ ॥
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति त्रयोदशोऽध्यायः
श्री प्रत्यंगिर अष्टोत्तर शत नामावलि
श्री महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम् (अयिगिरि नंदिनि)
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा ॥ ५ ॥
पाठ मात्रेण संसिद्धयेत् कुंजिका स्तोत्रमुत्तमम्।।
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